जिस जुनून से तुझे याद किया, उसी प्रेम से तूने हमें बुलाया।
जिस ख्वाब में हम जग को भूले, उसी खाब को हकीकत बनाया।
जिस प्रेरणा से हम चलते रहे, उसी प्रेरणा का हमें नाम दिया।
जिस अलौकिक दुनिया में हम बसे, उसमें अनुपमा हमें नाम दिया।
जग में तुझे हर पल पाया, हर जगह बस तेरा ही दीदार हुआ।
मंजिल हमारी हमने तो पाई, हमें आपने और भी सँवारा।
जिस रिश्ते का कोई रूप न था, उस रिश्ते को तो पूर्ण बनाया।
जिस रूह का कोई रूप न था, उसमें तो विश्वरूप का दर्शन दिया।
अमूल्य हमें बनाया, अपने आप में हमें आप का दीदार मिला।
दिव्य अनुभव का आनंद मिला, दिव्यता का एक चहरा दिया।
महफिल तो आपने सजाई, उस महफिल का जाम हमें पिलाया।
जीवन में हमे शामिल किया, हमे अपने आप में पूर्ण किया।
- डॉ. हीरा