सज़दा किये जा रे मनवा, सज़दा किये जा,
प्रेम में आखिर प्रभु के नाम का जाम पिये जा।
जीवन के खेल में तू अपना काम किये जा,
अंतर मे जा कर तू आराम किये जा।
महफिल के पैगाम, तू अपनाये जा,
हर पल तू आनंद में ही जीए जा।
गुमसुम अपनी जुबान को तू पी का नाम लिए जा,
हर हाल में तू सिर्फ मुस्कुराकर जीए जा।
अपने आप को तू अर्पण किये जा,
तेरी वफा का ऐलान प्रभु पर छोडे जा।
तू शांत होकर अपना वजूद भूले जा,
ओ मनवा, इस तरह इस जहान में अनपा काम कियेजा।
- डॉ. हीरा