न कुछ आता है, न कुछ जानते हैं,
न कुछ और दिखता है, तेरे सिवा न कुछ दिखता है।
न कुछ सोचा है, न तेरे बारे में कुछ जानते हैं,
बस एक मधहोशी है, बस तेरे ही नाम का सब ड़ठेरा है।
न कुछ सही है, न कुछ गलत है,
हर सोच में बस तेरा पनहारा है बल तेरे ही सब सिक्के है।
न कुछ हैरानी है, न कुछ विरान है,
तेरे ही सब रुप हैं, तेरी ही हर जगह बंदगी है।
न तुझसे कोई अलग है, न तुझसे कोई जुदा है,
हर जगह तेरी ही करामत है, तेरा ही तो जलवा है।
- डॉ. हीरा