गुंजाईश की कोई बात ही नहीं; बस करना है।
प्रेम की कोई मुलाकात ही नहीं; बस प्रेम से जीना है।
वैराग्य का कोई वजूद ही नहीं; बस अर्पण करना है।
जीत की कोई बात ही नहीं; बस अपने आप को ढुंढना है।
अहंकार की कोई पहचान ही नहीं; बस अंतरमें उतरना है।
आनंद की कोई चाह ही नहीं; बस उसमें डूबे रहना है।
जीवन की कोई लालसा ही नहीं; बस मालिक को पाना है।
धैर्य की कोई गुंजाईश ही नहीं; बस जीते जाना है।
स्वमान की कोई हकिकत ही नहीं; जब खुद को भूलना है।
दावे की कोई बात ही नहीं; बस करके दिखाना है।
- डॉ. हीरा