अंजान शहरों की अंजान राहें डराती हैं,
अंजान पलो को अंजान मुकाम सताते हैं।
हर एक पल नया है उसके खेल निराले हैं,
कभी रुलाते हैं तो कभी हँसाते हैं।
पल का क्या कहना, किस रोज वह बदलता हैं,
गिरने के डर का क्या कहना, वह ही तो गुमराह करते हैं।
कोशिश जब नकामयाब होती है दिल दुःखता हैं,
पर मेहनत जब रंग लाती है तब दिल की जीत होती हैं।
इस जीवन के बदलते पहलू निराश करते हैं,
इस उजाले के चमकते सितारे विश्वास को बढ़ाते हैं।
- डॉ. हीरा