ये इन्तज़ारी की तडप, न जाने मुझे क्यों भा गई?
जल रहे थे हम तेरी याद में, ये इन्तज़ारी…
मिलन कब होगा, तड़प में ही मिलन का एहसास हो गया, ये इन्तज़ारी…
मुस्कुराहट इन होठों पे, तेरी याद में आ गई, ये इन्तज़ारी…
मिलन का वादा करके, ये इंतज़ारी भी मीठी हो गई, ये इन्तज़ारी…
सावन के इस मौसम में, ये ज्वाला और भी भड़क उठी, ये इन्तज़ारी…
तु भी तड़प रहा है मेरी याद में, ये विश्वास, ये इन्तज़ारी…
तकदीर के इस तोहफे का शुक्रिया, ये इन्तज़ारी…
तेरी याद में रो रहे थे हम, कि याद ही मूर्ति बन गई, ये इन्तज़ारी…
मेरे भावों से ये तेरा खेल, ये इन्तज़ारी…
- डॉ. हीरा