चुराई मेरी नींद तूने, तो तुझे चैन से कैसे सोने दूँ?
बातें अन्य करके मुझसे, खामोश तुझे कैसे रहने दूँ?
हाल मेरा बेहाल करके, तुझे खुशहाल मैं कैसे रहने दूँ?
तेरा साथ मिल गया रे मेरे साथी, तो अकेला तुझे कैसे रहने दूँ?
खुशी दी है बेहद तूने मुझे, तो गम में तुझे कैसे रहने दूँ?
चाहत में तेरी डूब गई हूँ मैं, तो दूर तुझे कैसे रहने दूँ?
तेरी याद में दीवाने हो गई हूँ मैं, तो तुझे दीवाना कैसे न होने दूँ?
ढूँढ रही थी इस जहान में तुझे, तो तेरे दर्शन दुर्लभ कैसे रहने दूँ?
फ़रियाद कर रही थी तेरे खेल से, तो तुझे रूठ जाने कैसे दूँ?
चोटें मिली ज़िंदगी में अनेक, तो अपराधी तुझे कैसे रहने दूँ?
- डॉ. हीरा