वो गलियाँ, वो नजारे फिर से एक बार हम चलें,
कि वो यादें, वो मुहब्बत हम फिर से दोहराते रहें।
गुजरते लम्हें, हसिन पलके हम यूँ बिताते रहें,
कि वो किस्मत, हमारी खुशियाँ हम और सवारते रहें।
बीते पल और जीने की कसमें हम याद करते रहें,
कि प्रभु तेरे द्वार पे हम वापिस फिर आने लगे।
गवाँऐं बहुत पल, पर तुम्हारे पास हम आते रहें,
कि चाहत तुम हो हमारी, ये हम याद करते रहें।
न जाने कहाँ खो गए, न जाने कहाँ चले गए,
पर फिर से एक बार, हम तेरी गली आने लगे।
- डॉ. हीरा