दिया तुमने हमें बहुत कुछ, वो आज पता चला,
कि कहाँ से कहाँ आए हम, हमें तो पता ही ना चला।
हँसते खेलते हम तेरे साथ आगे चलते गए,
और जब बिछडे तो उसका एहसास होने लगा।
संभाल के हमें, तुम यूँ प्रेम से गले लगाते रहे,
और वो प्रेम की तडप हमें आज होने लगी।
जिंदगी हमारी तुम सँवारने लगे, हमें पता न चला,
और आज वो एक एक पल, हमें अमूल्य लगने लगा।
सही पहेचान तेरी हमें न पहले थी,
कि आज खुशनसीबी पे हमारी, तुम्हारा दीदार होने लगा।
- डॉ. हीरा