वचनों का मोहताज़ तो कोई नहीं है,
फिर भी वचन पर चलनेवालों को सलाम करते हैं।
प्रेम को समझनेवाले कोई नहीं है,
फिर भी प्रेम की बंदगी की मदहोशी समझते है।
आज्ञा का पालन कर नही सकते है,
फिर भी वफा का दावा करते रहते हैं।
जीवन की चाल नहीं समझते हैं,
फिर भी जीवन को अपनी बुद्धि से चलाते हैं।
तमन्ना, प्रभु को पाने की रखते हैं,
फिर भी कोशिश कुछ नहीं करते हैं।
- डॉ. हीरा