क्या बेचैनी है, तेरे नाम में मदहोशी है,
जीवन में हलचल है, अंतर में तेरी जागृति है।
ज्ञान का न कुछ पता है, तेरे संवाद में हो सब चर्चा है,
महफिल में एक रोशनी है, अंदर उतरते ही चाँदनी है।
गमों का जनाजा है, तेरे प्रेम का एक जश्न है।
खैय्या सब अजीब है, चारों ओर तेरे ही गीत है।
कुदरत भी मोहताज है, तेरे चरणों में वह सरताज है।
घमंड की न कोई गुँजाईश है, बस तेरे प्रेम में शांति छाई है।
अंतिम यात्रा आरंभ है, मिलन की बजी शहनाई है।
एक होने की तैयारी है, तुझमें मिटने की आई बारी है।
- डॉ. हीरा