तेरी आस में तडपाकर हमें, तुझे क्या मज़ा आता है?
मिलन का वादा न निभाकर, तुझे क्या मज़ा आता है?
प्यार दिखाकर इकरार न करने पे, तुझे क्या मज़ा आता है?
सामने आके ओझल हो जाने पर, तुझे क्या मज़ा आता है?
पास बुलाकर न मिलने पर, तुझे क्या मज़ा आता है?
हमारे दिल में प्यार की चिंगारी भड्काके, तुझे क्या मज़ा आता है?
होठों पे तेरा नाम बुलवाने पे, तुझे क्या मज़ा आता है?
तेरी राह देखती इन आँखों को, रुलाके तुझे क्या मज़ा आता है?
हर याद में तेरी याद बसा के, तुझे क्या मज़ा आता है?
फ़रियाद करके भी न फ़रियाद कर सकें हम, तुझे क्या मज़ा आता है?
- डॉ. हीरा