Bhajan No. 790 | Date: 05-Mar-19991999-03-05तरसती हुई ये ऩजर, राह देख रही थी मगर/bhajan/?title=tarasati-hui-ye-najara-raha-dekha-rahi-thi-magaraतरसती हुई ये ऩजर, राह देख रही थी मगर,

कि आएगी कोई खबर, उसके यार की एक ग़जल।

खोई हुई थी वह ऩजर, बनके बैठी वो पत्थर,

के जीत कर हर डगर, आएगा उसका यार उसके घर।

आँसू सिमत रही थी वह ऩजर, खुशी अपने यार के जिगर,

कि आएगा वापिस, हर हाल में जरूर मगर।

ढूँढती हुई थी वह ऩजर, सब में उसके यार की शकल,

कि प्रभु बन गया था वो उसकी ऩजर, प्रभु दिख रहा था उसे हर डगर।

सींचती हुई थी वह ऩजर, बुला रही थी प्रभु को अपने घर,

कि द्वार थे खुले हर पल, आएँगे प्रभु कभी तो एक पल।


तरसती हुई ये ऩजर, राह देख रही थी मगर


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तरसती हुई ये ऩजर, राह देख रही थी मगर


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तरसती हुई ये ऩजर, राह देख रही थी मगर,

कि आएगी कोई खबर, उसके यार की एक ग़जल।

खोई हुई थी वह ऩजर, बनके बैठी वो पत्थर,

के जीत कर हर डगर, आएगा उसका यार उसके घर।

आँसू सिमत रही थी वह ऩजर, खुशी अपने यार के जिगर,

कि आएगा वापिस, हर हाल में जरूर मगर।

ढूँढती हुई थी वह ऩजर, सब में उसके यार की शकल,

कि प्रभु बन गया था वो उसकी ऩजर, प्रभु दिख रहा था उसे हर डगर।

सींचती हुई थी वह ऩजर, बुला रही थी प्रभु को अपने घर,

कि द्वार थे खुले हर पल, आएँगे प्रभु कभी तो एक पल।



- डॉ. हीरा
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tarasatī huī yē na़jara, rāha dēkha rahī thī magara,

ki āēgī kōī khabara, usakē yāra kī ēka ga़jala।

khōī huī thī vaha na़jara, banakē baiṭhī vō patthara,

kē jīta kara hara ḍagara, āēgā usakā yāra usakē ghara।

ām̐sū simata rahī thī vaha na़jara, khuśī apanē yāra kē jigara,

ki āēgā vāpisa, hara hāla mēṁ jarūra magara।

ḍhūm̐ḍhatī huī thī vaha na़jara, saba mēṁ usakē yāra kī śakala,

ki prabhu bana gayā thā vō usakī na़jara, prabhu dikha rahā thā usē hara ḍagara।

sīṁcatī huī thī vaha na़jara, bulā rahī thī prabhu kō apanē ghara,

ki dvāra thē khulē hara pala, āēm̐gē prabhu kabhī tō ēka pala।

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दुनिया तेरी बडी निराली रे प्रभु, दुनिया तेरी बड़ी ही निराली।
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तरसती हुई ये ऩजर, राह देख रही थी मगर
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