सुनके कबीर दोहे, मोरा मनवा नाचे रे, मोरा मनवा नाचे रे,
काल करे सो आज कर ले, मोरा जियरा गाये रे, मोरा जियरा गाये रे।
आलस मोरी तन को छ़ोडे, मोरा मनवा नाचे रे, मोरा मनवा नाचे रे।
जाग उठो भई मोरे सईयाँ, मोरा जियरा गाये रे, मोरा जियरा गाये रे।
सुन ओ मेरी अरज संईयाँ, मोरा मनवा बोले रे, मोरा मनवा बोले रे।
राह तेरी देखती मोरी अखियाँ, मोरा जियरा तरसे रे, मोरा जियरा तरसे रे।
काल करे सो आज कर ले, मोरा मनवा नाचे रे, मोरा मनवा नाचे रे।
मिलन होवत हमरा संईयाँ, मोरा जियरा जाने रे, मोरा जियरा जाने रे।
अब तू मोरो प्यास ब़ुझयो, मोरा मनवा तरसे रे, मोरा मनवा तरसे रे।
सुनत मेरी अरज संईयाँ, तू मोरे मन में बसजो रे, तु मोरे संग संग रहजो रे।
काल करे सो आज कर ले, मोरी प्यास बुझयो रे, मोरी प्यास बुझयो रे।
- डॉ. हीरा