हम-हम करते करते, हम अहम् में खो गए,
खुद को ही ईश्वर मानकर, ये भ्रम में खो गए।
फिर क्या करें, कि इस संसार के गम में खो गए,
कि प्रभु, तुझको याद करें हम कम, ऐसे खो गए।
तेरे पास आना चाहा, फिर भी न हम को छोड़ सके,
अपने ही जाल में हम फँसे, ऐसे हम खो गए।
तुझसे मिलके भी मैं और तुम एक न हो सके,
फिर भी ये मेरा हम, तेरे हम में न बदल सके।
ये है मेरी बदनसीबी कि ये हमारा गम न कम कर सके,
इस अहम् में ही हम डूब गए।
- डॉ. हीरा