शरारत भरी नजर से न हमें देखो सनम,
कि होश हम भूलते हैं तुझमें हरदम।
चाहत में तेरी खो जाते हैं सनम,
मस्ती भरे रंग मे रंग जाते हैं हम।
तेरी ये मदहोश ऩजर के जाम हम पीते सनम,
न रहते हम हम में, जब खोते हम तुझमें सनम।
छ़ेडती ये तेरी ऩजर, दिवाना हमें करती सनम,
पिघलते हम तुझमें हरदम, जब खोते हम तुझमें सनम।
नाचते हैं हम, देख के तेरी ऩजर,
झूमों अब संग संग सनम, तुझसे हम मिलाए ऩजर।
ऩजर से ऩजर का ही रहा मिलन सनम,
अब मिलन करो सनम, प्यार में हमे पनाह दो सनम।
- डॉ. हीरा