समा ये प्यार का बड़ा ही सुहाना,
पल पल है छेड़ता, मुहब्बत का तराना।
सुहानी ये वादियाँ, गाती प्रेम का फसाना,
फूलों की महक से झूमता है दीवाना।
हवा भी है छेड़ती, गजलें कलियों से,
बीते हैं पल प्यार के, जवान है ये प्यार में।
मुहब्बत की है ये कहानी, ये प्यार की महफिल है,
ऐसे हसीन समां में, हम भी मदहोश हैं।
गाते हैं गीत हम, प्यार के ग़जल,
बेताब हम हैं, मिलन की राह पर चल।
सुर ताल में हम, खोते हम तुझमें हरदम,
छेड़ो अब एक ग़जल, कि तुझमें मिल जाएँ हम, तुझमें मिल जाएँ हम, तुझमे मिल जाएँ हम।
- डॉ. हीरा