सुलगती हुई आरजू का नशा हमे खींच लाया,
तेरे प्यार के पैगाम ने हमें सँवार दिया।
जिस्मों की पहचान अब वह मिटा गया,
तेरे जलवे ने हमें तो हाँ मार ही डाला।
शमा के बुझने पर ज्ञान के दीपक जला दिया,
तेरे इस स्वरूप ने जीवन को सँवार दिया।
इन्सानियत भुलाकर कलामे नूर सिखा दिया,
इस रौशनी में हमें तेरा सुकून दिला दिया।
अवतारों के बीच तेरा नाम सिखा दिया,
जज़बातों में एक बंदगी का आलम बना दिया।
तेरे इस रिश्ते ने हमें सारा जग जिता दिया,
हर लम्हें में हमें तुझमें मिला दिया।
- डॉ. हीरा