सोच में कोई नहीं, होश में कोई नहीं।
सपनों में कोई नहीं, जागृति में कोई नहीं।
तेरे सिवा प्रभु इस नाचिज की दुनिया में और कोई नहीं।
मेरे विश्वास में और कोई नहीं।
मेरे दिल में और कोई नहीं।
मेरी पुकार में और कोई नहीं।
मेरी इल्तेजा में और कोई नहीं।
तेरे सिवा मेरे मौला तेरी मालिकी के अलावा और कोई नहीं।
इंतजार में कोई नहीं, इबादद में कोई नहीं।
इरादों में कोई नहीं, इशारों में कोई नहीं।
तेरे सिवा, ओ मेरे ख़ुदा, इस बंदगी में दूजा और कोई नहीं।
- डॉ. हीरा