दिव्य आत्मा का दिव्य प्रेम छूता है मुझे,
दिव्य दृष्टि का दिव्य रूप निहारता है मुझे।
दिव्य देन का दिव्य धेन प्राप्त है मुझे।
दिव्य शक्ति की दिव्य मस्ति खेलती है मुझसे।
दिव्य अनुभूति की दिव्य मूर्ति दिखती है मुझे।
दिव्य आराम का दिव्य प्रमाण पुकारती है मुझे।
दिव्य रस की दिव्य धारा, सँवारती है मुझे।
दिव्य चेतना की दिव्य भाषा, समझाती है मुझे।
दिव्य पुकार दिव्य प्रेरणा, बुलाती है मुझे।
- डॉ. हीरा