शरारत भरी नज़र से हमें न देखो सनम,
कि खोते हम हैं अपना मन तुझमें सनम।
भूल भूलैया में सैर हम करते सनम,
जब तुझमें अपना दिल हम लगाते सनम।
कभी हँसते, कभी मुसकुराते हो तुम सनम,
तो कभी मूरत है तेरी बोलतीं हमसे सनम।
ऐसे हो तुम चितचोर अनोखे सनम,
ये चोरी भी है मंजूर हमें सनम।
चुरा लो अब सब कुछ ही हमारा सनम,
कि सिर्फ रहे हमारे पास तेरा ही प्यार सनम।
- डॉ. हीरा