रूला रूला के तुझे, न थकते हैं हम खुदा,
न जाने तुझको सताके हमें मिलता क्या है खुदा?
तुझपे न हम पूरा विश्वास कर सकते हैं खुदा,
पर तुझको भी न हम छोड़ सकते है खुदा।
प्यार तुझसे करना चाहते हैं हम खुदा,
पर आती नहीं कोई रीत, हमें ऐ खुदा।
और फिर तुझको ही हम मारते हैं खुदा,
बदलना चाहता है तू हमें बहुत, ऐ खुदा।
पर बदलेना हम, अब क्या करेगा तू खुदा?
कि कुछ नहीं तो, यह ही सही, खुद को ही समझते खुदा।
- डॉ. हीरा