राह देख रही ये पलकें इस द्वार पे, कि तुम कब आओगे।
पुकार रही मेरी आवाज़ जन्मों से कि तुम कब आओगे।
सो नहीं सके हम तेरी याद में, पुकार उठे कि तुम कब आओगे।
होश हवाश खो बैठे हम तेरे इन्तज़ार में, कि तुम कब आओगे।
बिन तेरे अब जी नहीं सकते, कि तुम कब आओगे।
रोक नहीं सकते हम अपने आप को, कि तुम कब आओगे।
प्रार्थना है ये मेरी तुमसे कि और न परिक्षा लो हमारी, कि तुम कब आओगे।
जीवन सारा है अधुरा तेरे बिना कि तुम कब आओगे।
जीवन में ना है कोई अरमान जीने का, कि तुम कब आओगे।
इस मोड़ पे लाके हमें, तुम क्यों नहीं आते, कि तुम कब आओगे।
- डॉ. हीरा