परवानगी का तो पता नहीं, दीवानगी का नशा है;
इच्छा का कोई अंत नहीं, जीवन का ही सहारा है।
ज्ञान की कोई सीमा नहीं, अमृतत्व का नज़ारा है;
जीवन का कोई भरोसा नहीं, इसलिए ही गुरु का किनारा है।
शांति की कोई झलक नहीं, खोखलेपन की पेशी है;
जीवन मृत्यु ही एक दूसरे के संग, अंतिम चरण में संभल जाना है।
ये उम्मीद की कोई दीवार नहीं, नाउम्मीद की तो बुनियाद है;
एकांत का भाव है, बस उसी में खो जाना है।
- डॉ. हीरा