Bhajan No. 903 | Date: 07-Jun-19991999-06-07न करो बरबाद यूँ कुदरत को, मेरे मानवी/bhajan/?title=na-karo-barabada-yum-kudarata-ko-mere-manaviन करो बरबाद यूँ कुदरत को, मेरे मानवी,

कि रहता है खुदा का प्यार उसमें, रे मानवी।

फूलों की बहारों में बसती है प्रभु की हँसी,

न करो तुम उसकी तौहिन कि बनती है वो तेरे कबर की चुनरी।

पर्वतों की ये गुफाओं में रहते हैं संत कवि भी,

न तोड़ो तुम उनको कि वो रास्ता है तेरी मंजिल का।

पेड़ पहाड़ों में रहते हैं रस गुण अंजान भी,

न उखाड़ों इसे कि ये है जीवन तुम्हारे जीने का।

सागर के पवित्र जल में है घर प्रभु का,

न गंदा करो इसे के ये है दरबार उसी का।


न करो बरबाद यूँ कुदरत को, मेरे मानवी


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न करो बरबाद यूँ कुदरत को, मेरे मानवी


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न करो बरबाद यूँ कुदरत को, मेरे मानवी,

कि रहता है खुदा का प्यार उसमें, रे मानवी।

फूलों की बहारों में बसती है प्रभु की हँसी,

न करो तुम उसकी तौहिन कि बनती है वो तेरे कबर की चुनरी।

पर्वतों की ये गुफाओं में रहते हैं संत कवि भी,

न तोड़ो तुम उनको कि वो रास्ता है तेरी मंजिल का।

पेड़ पहाड़ों में रहते हैं रस गुण अंजान भी,

न उखाड़ों इसे कि ये है जीवन तुम्हारे जीने का।

सागर के पवित्र जल में है घर प्रभु का,

न गंदा करो इसे के ये है दरबार उसी का।



- डॉ. हीरा
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na karō barabāda yūm̐ kudarata kō, mērē mānavī,

ki rahatā hai khudā kā pyāra usamēṁ, rē mānavī।

phūlōṁ kī bahārōṁ mēṁ basatī hai prabhu kī ham̐sī,

na karō tuma usakī tauhina ki banatī hai vō tērē kabara kī cunarī।

parvatōṁ kī yē guphāōṁ mēṁ rahatē haiṁ saṁta kavi bhī,

na tōḍa़ō tuma unakō ki vō rāstā hai tērī maṁjila kā।

pēḍa़ pahāḍa़ōṁ mēṁ rahatē haiṁ rasa guṇa aṁjāna bhī,

na ukhāḍa़ōṁ isē ki yē hai jīvana tumhārē jīnē kā।

sāgara kē pavitra jala mēṁ hai ghara prabhu kā,

na gaṁdā karō isē kē yē hai darabāra usī kā।

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न करो बरबाद यूँ कुदरत को, मेरे मानवी
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