कोशिशें हजारों करते हैं, फिर भी हम भूल जाते हैं।
खुद की पहचान को ही हम भूल जाते हैं।
जुगनू से जागने की ख्वाहिश रखते हैं।
फिर भी अपने भ्रम में ही खो जाते हैं।
ऐ खुदा, तुझसे मिन्नत करते हैं।
तेरे ही शिकंजे में हम सब कुछ भूलना चाहते हैं।
अपने आप को जानना चाहते हैं।
तेरे में अपने आप को पहचानना चाहते हैं।
- डॉ. हीरा