अज्ञानी चतुर से बचके रह्यो,
खुद तो डूबते हैं, दुसरों को बरबाद करते हैं।
विज्ञान के नाम पर परेशान करते हैं।
अपनी दुनिया में गलतियां बार-बार करते हैं।
शानो शौकत से भरमाते हैं।
आलस के तराजू से सब को तौलते हैं।
आशिकी के नाम पर सौदा करते हैं।
मन के आखिर गुलाम बनते हैं।
दुनिया में धन के पीछे भागते हैं।
हर रिश्ता नाप तोल से करते हैं।
राई पे राई देते रहते हैँ।
प्रभु को भी बेचने का साधन बनाते हैं।
प्यार को बदनाम करते हैं।
फितरते जुनून पर हँसते रहते हैँ।
तालीम में अंदर से सब को कोसते हैं।
दुनिया में खुद क लाजवाब मानते हैं।
फकीरी को गरीबी मानते हैं।
दौलत को अमीरी मानते हैं।
इंसान की न कदर करते हैं।
जीवन को बरबाद करते हैं।
जुबान मीठी चलाते हैं।
पर खोखलेपन का नज़ारा देते हैं।
ऐसे चतुर से दुर ही रह्यो,
जो अपनी ही चतुराई में सब कुछ गँवाते है।
- डॉ. हीरा