ख़ुदा कहो या ईश्वर कहो, वो तो एक ही है।
मौला कहो या भगवान कहो, वो तो एक ही है।
अल्लाह कहो या प्रभु कहो, वो तो एक ही है।
रास्तें हैं अलग अलग, मंजिल तो एक ही है।
भक्ति कहो या सूफी कहो, बंदगी तो एक ही है।
कुरान कहो या वेद कहो, उसकी बोली तो एक ही है।
मौलवी कहो या साधु कहो, वैराग्य तो एक ही है।
फकीर कहो या संत कहो, उसकी ईबादत एक ही है।
जन्नत कहो या स्वर्ग कहो, प्रीत की रीत एक ही है।
ज़ज्ब़ा कहो या चाहत कहो, उसका गीत एक ही हैं।
ध्यान कहो या ट्रांस कहो, उसके विचार एक ही हैं।
ज्ञान कहो या इस्लाम कहो, उसके पन्ने तो एक ही हैं।
- डॉ. हीरा