जो उम्मीद लेकर खड़े हैं, उसे तू नाराज़ नहीं करता।
जो अरमान लेके बैठे हैं, उसे तू दुःखी नहीं करता।
जो विश्वास लेके आए हैं, उसे तू नाउम्मीद नहीं करता।
जो प्यार लेके आए है, उसे तू प्रेम से वंचित नहीं रखता।
तू करता तो है सबकुछ सब के लिए, उसका हिसाब नहीं रखता।
तू माँगता नहीं किसी से, बस दामन सबका है भरता।
तू प्रेम करता है सभी से, यह बात जताता नहीं किसी पर।
तू बिन बोलो रहता है सब में, उसका अफसोस नहीं करता।
तेरे जैसा निःस्वार्थी कहीं नहीं देखा, तू दिखाई नहीं देता।
अपना काम करता है खामोशी में, तू खामोशी में सदैव रहता।
- डॉ. हीरा