Bhajan No. 779 | Date: 04-Mar-19991999-03-04जाग रहा है इन्सान पर न जाने क्या कर रहा है इन्सान/bhajan/?title=jaga-raha-hai-insana-para-na-jane-kya-kara-raha-hai-insanaजाग रहा है इन्सान पर न जाने क्या कर रहा है इन्सान,

खुशी ढूँढ रहा इन्सान पर गम के अंधेरों में खो रहा इन्सान।

मुसिबतों को झेल रहा इन्सान पर जिन्दगी से हार गया इन्सान,

क्या कहे सिर्फ इतना कि नाकामयाब हो गया तू इन्सान।

संतान है जिस प्रभु का, खो दिया तूने उसे रे इन्सान,

अब भटक रहा है इस जग में लावारिस बनके तू इन्सान।

तोड दिया तूने जिस जहां पे खुशी के रिश्तो ऐ इन्सान,

अब दुख के साया में तू भटक रहा है इन्सान।

होश संभाल के आ, दर पर प्रभु खड़े हैं तेरे, ऐ इन्सान,

जहां मिल जाऐगा तुझे जो प्रभु मिल जाएँगे तुझे ऐ इन्सान।


जाग रहा है इन्सान पर न जाने क्या कर रहा है इन्सान


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जाग रहा है इन्सान पर न जाने क्या कर रहा है इन्सान


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जाग रहा है इन्सान पर न जाने क्या कर रहा है इन्सान,

खुशी ढूँढ रहा इन्सान पर गम के अंधेरों में खो रहा इन्सान।

मुसिबतों को झेल रहा इन्सान पर जिन्दगी से हार गया इन्सान,

क्या कहे सिर्फ इतना कि नाकामयाब हो गया तू इन्सान।

संतान है जिस प्रभु का, खो दिया तूने उसे रे इन्सान,

अब भटक रहा है इस जग में लावारिस बनके तू इन्सान।

तोड दिया तूने जिस जहां पे खुशी के रिश्तो ऐ इन्सान,

अब दुख के साया में तू भटक रहा है इन्सान।

होश संभाल के आ, दर पर प्रभु खड़े हैं तेरे, ऐ इन्सान,

जहां मिल जाऐगा तुझे जो प्रभु मिल जाएँगे तुझे ऐ इन्सान।



- डॉ. हीरा
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jāga rahā hai insāna para na jānē kyā kara rahā hai insāna,

khuśī ḍhūm̐ḍha rahā insāna para gama kē aṁdhērōṁ mēṁ khō rahā insāna।

musibatōṁ kō jhēla rahā insāna para jindagī sē hāra gayā insāna,

kyā kahē sirpha itanā ki nākāmayāba hō gayā tū insāna।

saṁtāna hai jisa prabhu kā, khō diyā tūnē usē rē insāna,

aba bhaṭaka rahā hai isa jaga mēṁ lāvārisa banakē tū insāna।

tōḍa diyā tūnē jisa jahāṁ pē khuśī kē riśtō ai insāna,

aba dukha kē sāyā mēṁ tū bhaṭaka rahā hai insāna।

hōśa saṁbhāla kē ā, dara para prabhu khaḍa़ē haiṁ tērē, ai insāna,

jahāṁ mila jāaigā tujhē jō prabhu mila jāēm̐gē tujhē ai insāna।

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