देश प्रेम में बलिदान चाहते हैं सब,
पर खुद का बलिदान ना देते हैं सब।
फिर औरों को ही गद्दार कहते हैं सब,
खुद को बड़ा ही भक्त कहते हैं सब।
ऐसी ही हालत है तेरे भक्तों की प्रभु अब,
के चाहत तो चाहते, पर बलिदान देते न अब।
तुझसे मिलना तो चाहते हैं, ख्वाहिश करते हैं सब,
पर कोशिश नहीं करते मिलने की तुझसे अब।
औरों का क्या कहें जब हम भी हैं उसमें शामिल अब,
बाकी किसी में न सही, इस में तो अव्वल नंबर हैं हम।
- डॉ. हीरा