दर्दे दिल की कोई दावा नहीं, इश्क में फनां होना आता नहीं।
मंज़िले खुदा की खबर नहीं, जीते जी जलती राख की कबर नहीं।
महफिल का कोई नज़ारा नहीं, मालिक का कोई पैगाम नहीं।
आनंद की झोली अभी भरी नहीं, गुमराह मन में सुकून नहीं।
चैन की मंजिल अभी आई नहीं, मुश्किलों का परदा खुला नही।
जाने तमन्ना अब तक जानी नहीं, सितम इस हाल की पहचान नहीं।
गैरों के बीच कोई अपना नहीं, ढूँढती नज़रों ने कोई समाया नहीं।
मौला की बंदगी में अब तक मज़ा नहीं, मौला की मौजूदगी जब तक छाई नहीं।
दर्दे दिल की कोई दावा नहीं, इश्क में फनां होना आता नहीं।
- डॉ. हीरा