चाहते थी तो बहुत जिंदगी में, पर तु जो मिल गया,
कि हर चाहत पुरी हो गई, कि तु हमें मिल गया।
फिर क्या रही हमारी चाहत, जब तु ही चाहत बन गया,
सभी चाहतों को मिलाकर हमारी सबसे बड़ी चाहत बन गया।
छोड़ दी फिर हमने सब चाहत, कि हर चाहत तुझमें हासिल हो गयी।
जगत में न रही ऐसी चाहत, जो तेरी चाहत से हमें गुमराह कर गयी।
चाहतों के इस मेले में, मैं तेरी ही चाहत में खो गया,
भूल गए सब कुछ, ये भी कि तेरी चाहत में मैं मदहोश हो गया।
ऐसा था तेरा जहान कि सुकून हमें मिल गया।
सोए हम ऐसी नींद कि भरपूर प्रेम का आनंद हमें मिल गया।
- डॉ. हीरा