बेखबर रहे हम ज़िंदगी में कि पाँवतले ज़मीन निकल गई और
हमें पता भी न चला।
भूलकर तेरे प्यार को, हम ज़माने में खो गए और हमें पता भी न चला।
भटक रहे हम तेरी खोज में हर जन्म, मिल के फिर खो गए और हमें पता भी न चला।
जा रहे थे हम हमारी मंज़िल की ओर और भटक भी गए और
हमें पता भी न चला।
प्यार करने बैठे हम तुझे, जख्म दे दिया और हमें पता भी न चला।
खोना चाहा हमने अपने आप को तुझमें, पर अपने आप को मिटा ना सके और हमें पता भी न चला।
ले गए तुम हमें अपने साथ साथ, कहाँ आ गए हम, वो हमें पता भी न चला।
भूले को घर बुलाया, अंधी आँखों को मार्ग दिखाया और
हमें पता भी न चला।
प्यार करते हो तुम हमसे कितना, बताके भी न बताया और
हमें पता भी न चला।
बसे हुए हो तुम हमारे दिल में, ये दिल अब हमारा न रहा और हमें पता भी न चला।
- डॉ. हीरा