जब जब मैंने दिया, मनुष्य ने सिर्फ ठुकराया,
जब जब मैंने पाया, मनुष्य ने सिर्फ भुलाया।
फिर भी मैं न हारा, फिर भी मैं न भूला,
आस न मेरी तोड़ी, नफरतें लोगों की छोड़ी।
अपने इरादों में बुलंद रहा, व्यवहार में न खामी आयी,
मन में न गाँठ बाँधी, मन में न कोई मर्म रखा।
अपने आप में सरल रहा, प्रेम से मैं तो भरपुर रहा,
इरादों पर अपने कायम रहा, लोगों को मैं सँवारता रहा।
अनेक को मैंने एक बनाया, अपने नाम में उनको जोड़ा।
हर एक मंजिल पर साथ दिया, मेरा एहसास उन्हें दिया,
आत्मा को परमात्मा बनाया, परम आनंद का अनुभव दिया।
विश्वास न मेरा छुटा, मेरे जैसा सब को बनाया,
हकीकत से दुनिया जोड़ी, मेरे एहसास से माया छोड़ी।
वैराग्य तो सब में जगाया, मेरी मुलाकात की रेखा न बदली,
अमूल्य आनंद का जुनून पाया, प्रेम का तो जीवन मैंने बसाया।
- ये दुनिया के लिए “परा” के संदेश हैं|