तेरे प्रेम के दीदार के तरसे हैं हम,
तेरे नाम के दीवाने हैं हम,
तेरे जुनून के साये में फिरते हैं हम,
इल्तिजा के जज्बातों में जीते हैं हम,
तेरे दर पर आके सुकून पाते हैं हम,
गुमराह मन में शांति पाते हैं हम,
इस मोहब्बत की चाहतों में खेलते हैं हम,
तेरे प्रेम में आखिर फना होते हैं हम।
- डॉ. हीरा