Bhajan No. 5311 | Date: 06-Jan-20212021-01-06मुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।/bhajan/?title=muhobbata-ne-janga-ladari-hai-rishvara-ko-ibadata-se-pukara-haiमुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।

जीवन संग्राम में जीना सिखाया है, फिर से महफिल को स्थिर किया है।

आग्रह को आराम दिया है, दिल में प्रीत का दीया जलाया है।

ऐलाने हुकूमत र्इश्वर का बसाया है, प्राणों में उसे सँवारा है।

मन में आरजू छाई है, कुदरत को ही बक्श दिया है।

फितरत में नशा छाया है, दिल में एक सुकून छाया है।

मुहब्बत की जीत पक्की है, ईश्वर की लीला में उसका मिलन ही पक्का है।

आदर्शो में एक मजा है, जब प्रीत की रीत का सहारा है।

जब भी ये महफिल सजती है, तब ही ये सुकून की शांति है।


मुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।


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मुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।


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मुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।

जीवन संग्राम में जीना सिखाया है, फिर से महफिल को स्थिर किया है।

आग्रह को आराम दिया है, दिल में प्रीत का दीया जलाया है।

ऐलाने हुकूमत र्इश्वर का बसाया है, प्राणों में उसे सँवारा है।

मन में आरजू छाई है, कुदरत को ही बक्श दिया है।

फितरत में नशा छाया है, दिल में एक सुकून छाया है।

मुहब्बत की जीत पक्की है, ईश्वर की लीला में उसका मिलन ही पक्का है।

आदर्शो में एक मजा है, जब प्रीत की रीत का सहारा है।

जब भी ये महफिल सजती है, तब ही ये सुकून की शांति है।



- डॉ. हीरा
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muhōbbata nē jaṁga laḍāri hai, riśvara kō ibādata sē pukārā hai।

jīvana saṁgrāma mēṁ jīnā sikhāyā hai, phira sē mahaphila kō sthira kiyā hai।

āgraha kō ārāma diyā hai, dila mēṁ prīta kā dīyā jalāyā hai।

ailānē hukūmata riśvara kā basāyā hai, prāṇōṁ mēṁ usē sam̐vārā hai।

mana mēṁ ārajū chāī hai, kudarata kō hī bakśa diyā hai।

phitarata mēṁ naśā chāyā hai, dila mēṁ ēka sukūna chāyā hai।

muhabbata kī jīta pakkī hai, īśvara kī līlā mēṁ usakā milana hī pakkā hai।

ādarśō mēṁ ēka majā hai, jaba prīta kī rīta kā sahārā hai।

jaba bhī yē mahaphila sajatī hai, taba hī yē sukūna kī śāṁti hai।

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आ तुझे एक नया रूप दूँ, आ तुझे एक नया रूप दूँ
 
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मुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।
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