मुहोब्बत ने जंग लडार्इ है, र्इश्वर को इबादत से पुकारा है।
जीवन संग्राम में जीना सिखाया है, फिर से महफिल को स्थिर किया है।
आग्रह को आराम दिया है, दिल में प्रीत का दीया जलाया है।
ऐलाने हुकूमत र्इश्वर का बसाया है, प्राणों में उसे सँवारा है।
मन में आरजू छाई है, कुदरत को ही बक्श दिया है।
फितरत में नशा छाया है, दिल में एक सुकून छाया है।
मुहब्बत की जीत पक्की है, ईश्वर की लीला में उसका मिलन ही पक्का है।
आदर्शो में एक मजा है, जब प्रीत की रीत का सहारा है।
जब भी ये महफिल सजती है, तब ही ये सुकून की शांति है।
- डॉ. हीरा