मौके की तलाश में रहते हैं कि कब हम बदला लें
क्यों न यह मौका ढुढें, कि अपने आप को बदल पायें।
दुसरों की राय बनाने, हम तत्पर रहते हैं
क्यों न खुद की राय, अपनी असलियत देख पाते हैं।
दुसरों को सलाह देने के लिए तैयार रहते हैं
क्यों वह ही सलाह पर हम चलने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
दुसरों के दोष निकालने में हमें बहुत मज़ा आता है
क्यों खुद के दोष जानने के लिए हम आलस करते हैं।
विशेष टिप्पणी के लिए, हम दूसरों को खोजते हैं
क्यों न शांत होकर, हम अपने आप को देखते हैं।
- ડો. હીરા