मंजिल की ओर चल पड़े हम बिना तैयारी के,
सोचा कि जो होगा वो देखा जाएगा तब।
पर एक ही ठोकर ने हमें राह भूला दिया तब,
कि दबे पाँव हार मान लिया हमने तब।
पर जब फैसला किया कि जरूर पहुँचेगे हम,
तो हर मोड़ को सीधा बनाकर छोड़ा हमने तब।
फिर क्या तकलिफें, क्या कठिन रास्ते,
जब प्यार की राह में हम निकल पड़े।
मंजिल थी सामने, बस एक ही निशाना तब,
पाएँगे एक दिन जरूर तुझे, यकीन है हमें अब।
- डॉ. हीरा