महोताज नहीं तेरे पैगाम के फिर भी इंतज़ार करते हैं,
जीवन की राह में हर पल तुझे याद करते हैं।
जबरदस्ती नहीं इन सांसों की, फिर भी वो तेरा नाम लेते हैं,
हर आलम में आखिर तुझे बदनाम करते हैं।
जीवन नहीं एक बाधा, फिर भी अपने आप से परेशान रहते हैं,
तेरे दर पे आकर भी अपने आप को ढूँढते रहते हैं।
घायलों की तरह रहते हैं, जुनून-ऐ-इश्क पे सवार रहते हैं,
तेरे नशे में कभी अपने आप से मुलाकात करते हैं।
जज़बातों का मातम ख़ुशी से करते हैं,
ऐ खुदा, तेरे इश्क में न जाने क्या क्या करते हैं।
तुझसे वादे हजार करते हैं, जुरंते महफिल में सजते हैं,
फनां होते हैं तेरी तस्वीर दिल में देखकर, आखिर तुझसे ही तो रुतबा करते हैं।
- डॉ. हीरा