जब पास थे आप, सब आसानी से होता, पता ही न चला,
कि तेरी याद में खो जाना, हमें पता ही न चला।
अब जब दूर हैं हम और आप, तेरी याद में न हम जा सके,
कि दुनिया की दौड़ में हम अपने आप को न भुला सके।
कोशिश करके फिर से दोहराना, हम न जाने कहाँ निकल पड़े।
कि आना था तेरे पास, न जाने कहाँ के लिए निकल पड़े।
ख्वाब सा लगे वो गुजरा पल, न जाने ये कब बीत गए,
कि तड़प वो हमारी दिल में न जाने हम कहाँ गवाँ बैठे।
जिंदगी दौड़ती रही और हम उसमें समाते रहे,
कि कहाँ से कहाँ गए, हम अपने आप को न संभाल सके।
सुकून जो तुझमें पाया, वो न जाने कहाँ खो गए,
बस प्रार्थना है हमारी, कि तेरे पास हम फिर से आ सके।
- डॉ. हीरा