दरबार तेरा बसा है आज, दुनिया के दुःख दर्द के वास्ते,
कि देना ज्ञान तुझे आज सब को, आगे बढ़ाने के वास्ते।
देने है तुझे आज हम भटकों को सही रास्ते,
कि आना है फिर तुझे इस जग में हम भक्तों के वास्ते।
दिखाना है तुझे आज, तेरी दुनिया, विश्वास जगाने के वास्ते,
कि नए युग में नई बातें, दिखाने हैं तुझे नए नए रास्ते।
लेकिन आना पड़ेगा हमें पहले सुधारने के वास्ते,
इच्छा हमें हैं करनी आगे जाने के वास्ते।
दयावान बड़ा है तू, प्यार जलाना है हमारे वास्ते,
के आये हम तेरे पास, तेरे लिए, आखिर तेरे ही वास्ते।
- डॉ. हीरा