ऐ परवरदीगार, ऐ गरीबों के नवाज़, आपकी खुशामद हम क्या करे?
ऐ दिले नूर, आपकी इबादत हम कैसे करें?
ऐ मसीहा, ऐ पीरे नवाज़, आपकी बंदगी हम कैसे करें?
ऐ ख्वाजा पीर, ऐ हाजी अली, आपकी सेवा हम कैसे करें?
दिल में बसे हैं आप, जश्न ऐ ईश्क हम कैसे करे?
खलिफों में है आपका नाम, आपकी इनायत हम कैसे करे?
शोहरत का ताज, इलाही अक्बर है आपका नाम, आपकी हुकुमत में हम सर झुकायें।
ऐ परवरदीगार, ऐ संतों के शालिमार, आपका नाम हम कैसे लेते रहें?
ऐ सरताजों के ताज, ऐ जश्न के बादशाह, आपकी गुलामी हम कैसे करें?
ऐ नूरे इबादत, ऐ पीरे रहमत, आपकी पनाह में हम कैसे आएँ?
ऐ हजरत अली, ऐ परम अजीज, आपसे हम और क्या कहें?
- डॉ. हीरा