फकिरों में बसता हूँ मैं, संतो में तो बोलता हूँ मैं

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फकिरों में बसता हूँ मैं, संतो में तो बोलता हूँ मैं


Date: 16-Oct-2015

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फकिरों में बसता हूँ मैं, संतो में तो बोलता हूँ मैं,
आनंद में सदा रहता हूँ मैं, अपने में सदा रहता हूँ मैं।
मोक्ष की तलाश में रहते हैं आप, आप के दिल में रहता हूँ मैं,
पीरों के परचों में, ऋषियों के आशिष में रहता हूँ मैं।
भक्तो के ह्दय में और अनगिनत चेहरों में बसता हूँ मैं,
मुझसे ज्यादा न कोई और बोलता है, मुझसे ज्यादा न कोई सुनाता है।
फिर भी मुझे खामोश लोग कहते हैं, मुझे तो पत्थरो में ढूंढते हैं,
कहानी हमारी सब दोहराते हैं, रामलीला के खेल हर साल करते हैं।
पर आप के अंदर ही तो हूँ, मुझे हर जगह आप तो ढूँढते हैं,
ख्वाइशों में इतने डूबते हैं, कि मुझे आप ही भूल जाते हैं।
जन्नत देखना चाहता हूँ, गमगीन जिंदगी में खो जाते हैं।


- ये दुनिया के लिए “परा” के संदेश हैं|


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फकिरों में बसता हूँ मैं, संतो में तो बोलता हूँ मैं, आनंद में सदा रहता हूँ मैं, अपने में सदा रहता हूँ मैं। मोक्ष की तलाश में रहते हैं आप, आप के दिल में रहता हूँ मैं, पीरों के परचों में, ऋषियों के आशिष में रहता हूँ मैं। भक्तो के ह्दय में और अनगिनत चेहरों में बसता हूँ मैं, मुझसे ज्यादा न कोई और बोलता है, मुझसे ज्यादा न कोई सुनाता है। फिर भी मुझे खामोश लोग कहते हैं, मुझे तो पत्थरो में ढूंढते हैं, कहानी हमारी सब दोहराते हैं, रामलीला के खेल हर साल करते हैं। पर आप के अंदर ही तो हूँ, मुझे हर जगह आप तो ढूँढते हैं, ख्वाइशों में इतने डूबते हैं, कि मुझे आप ही भूल जाते हैं। जन्नत देखना चाहता हूँ, गमगीन जिंदगी में खो जाते हैं। फकिरों में बसता हूँ मैं, संतो में तो बोलता हूँ मैं 2015-10-16 https://www.myinnerkarma.org/msg_para/default.aspx?title=phakirom-mem-basata-hum-maim-santo-mem-to-bolata-hum-maim

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