क्या खेल खिला रहा है प्रभु कि याद करके हम रो पड़े।
सब कुछ दिखा दिया तूने कि याद करके हम रो पड़े।
न झेल सके हम असलियत को कि याद करके हम रो पड़े।
खुदा का जब असली रूप देखा तो याद करके हम रो पड़े।
हाथ जोड़कर बोले “बस प्रभु बस” कि याद करके हम रो पड़े।
सौंप दिया सब कुछ तुम्हें कि याद करके हम रो पड़े।
नादानियत में क्या खेल खेल गए कि याद करके हम रो पड़े।
अब हाथ पकड़ा है तेरा, न छोड़ेंगे कि याद करके हम रो पड़े।
डर गए हम अपने आप से, ज़माने का क्या कहें कि याद करके हम रो पड़े।
तुझे याद और भी ज़्यादा करने लगे कि याद करके हम रो पड़े।
- डॉ. हीरा